दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय चांदनी रात
चांदनी रात
कानपुर
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एक दिन पहुंची कानपुर में पकड़ मेल आसाम
स्टेशन पर मिल गया मुझको सेवाराम।
मिल गए सेवाराम ,कानपुर नगर घुमाया।
पहुंचे नौघड़ा किंतु एक भी घड़ा न पाया ।
घराना मिला इसका मुझे मलाल न था ।
लेकिन पहुंचे माल रोड पर माल न था।
थोड़ा आगे बढ़ी तो रोड बिरहाना आई।
लेकिन एक भी बिरहा बिराहिनी नी नहीं मुझको पड़े दिखाई।
लेकिन एक भी दृष्टि दोष हुआ प्रशिक्षण हुआ हृदय में रंज।
मूड बदलने के लिए गए कलेक्टर गंज।
गए कलेक्टर गंज जहां हम भटक रहे थे।
थोड़ा आगे बढ़े तू आया ना का बादशाही।
जहां बादशाहा मिले बेचते चूना और सुराही।।
सुंदरता के नाम को करते लोग जलील।
हंस नहीं मोती नहीं कहते मोती झील।
परमट में मरघट धनकुट्टी में धन की कोई न गेल।
फूल बाग में फूलों को चल गए गाय और बैल।
⁰ हुई नवाबी खत्म हफ्ते इक्के तांगे।
फिर इसे नवाबगंज कह रही अभागे।
इसलिए कानपुर सदा स्मरण रहेगा।
ऐसा अनुभव दिल कभी ना भूलेगा।
मेरा यह कथन मानिए सच्चा और पक्का।
मैं कहती हूं यहां मिलेगा धुआं और धक्का
सुनीता गुप्ता कानपुर
Gunjan Kamal
15-Nov-2022 05:54 PM
शानदार
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Khan
11-Nov-2022 10:55 AM
Bahut khoob 😊
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Sachin dev
09-Nov-2022 04:23 PM
Nice
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